उत्पल जी का जन्म श्रीनगर में एक सुशिक्षित घर में हुआ| उनके दादाजी मास्टर समसारचंद कौल एक उच्च कोटि के विद्वान थे जिन्हों हिमालय के विषय में कई ग्रंथों का निर्माण किया| उत्पल जी मात्र १४ वर्ष की आयु में कश्मीर से निकलकर जम्मू में प. पू. गोलवालकर गुरु जी से भेंट की, जिन्होंने तरुण स्वयंसेवक के रूप में उन्हें एक महत्वपूर्ण बैठक में बैठने की अनुमति प्रदान की | तभी से वह संघ से पूर्ण रूप से जुड़े हैं| उन्होंने इतिहास विषय कई उपाधिया प्राप्त कीं| अपने जीवन के उद्देश्य के रूप में वह कश्मीर तथा भारत वर्ष के इतिहास तथा संस्कृति को संजोने के लिए एक प्रकाशक के रूप में काम कर रहे हैं| अभी तक उन्होंने कोई १०० पुस्तकें प्रकाशित की हैं| इन्ही विषयो पर उन्होंने भारत तथा अन्तराष्ट्रीय स्तर पर १०० से भी अधिक व्यखान दिए हैं| परिभ्रमण उनकी एक विशेषता है – इस सन्दर्भे में उनहोंने कई सौ यात्रियों को कश्मीर तथा भारत के अनेक एतिहासिक तथा धरम से जुड़े स्थानों तथा तीर्थों के दर्शन करवाए हैं और उन्हें वह सब की महत्ता से अवगत करवाया है| उन्होंने अनेक टीवी संवादों तथा सोशल मीडिया में भाग लिया है|
१९९० में कश्मीरी हिन्दुओं के घाटी से निर्गमन के समय वह जम्मू में हिन्दू युवक फोरम के अध्यक्ष थे और घाटी से आने वाले लोगों के सहायता एवं पुनर्वास के लिए एक महत्वपुर्ण योगदान दिया| आज कल वह ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा के कोऑर्डिनेटर हैं और सेवा इंटरनेशनल तथा जम्मू कश्मीर अध्यन केंद्र के कार्यों से भी जुड़े हैं|
मुख्य बिंदु
ललितादित्य का समय कश्मीर ही नहीं अपितु भारत के इतिहास का एक स्वर्णिम युग था |
वे कश्मीर के पहले ऐसे राजा थे जिन्हों ने भारत में कर्नाटक तक, ईरान और तिब्बत तक अपना साम्राज्य स्थापित किया| वह एक अकेले राजा थे जिन्हों ने चीन पर भी आक्रमण किया|
उनके समय में अरबों ने भारत में अपने साम्राज्य स्थापित करना चाहा लेकिन ललितादित्य ने उनके प्रयोजन को समझा और उन्हें रोके रखा| परिणामस्वरूप उनके राज के ४०० साल पश्चात ही इस्लाम भारत में प्रवेश कर पाया|
वह एक महान विकास पुर्ष और निर्माता थे| उन्होंने श्रीनगर नगर की स्थापना की और सबसे प्रथम सूर्य देव के मंदिर की स्थापना की|
वोह सभी मत मतान्तरों को उचित स्थान देते थे| उनके राज्य हिन्दुओं तथा बोधों को सामान अधिकार प्राप्त थे|
उन्होंने सभी स्थानों से विद्वानों को बुला कर कश्मीर में स्थापित किया| अत्रिगुप्त जो आचार्य अभिनवगुप्त के पूर्वज थे, उन्ह कनौज से कश्मीर में बसाया|
Program
King Lalitaditya Muktapida(Alexander of India), Karkota dynasty of Kashmir, by Shri. Utpal Kaul